Wednesday 27 January, 2010

संभाल कर रखें इन्हें

समाजवादी पार्टी आखिरकार बॉलीवुड के चकाचौंध से मुक्त हो गई है। शायद यह भारतीय राजनीति और समाजवादी आंदोलन के लिए बेहतर साबित होगा। कभी कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़कर अमिताभ बच्चन ने धुरंधर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा को उन्हीं की दशकों से बनाई धरती, इलाहाबाद में हरा दिया था। उस चुनाव को याद कर राजनीतिक पंडित आज भी उसे एक जन नेता के अवसान के रूप में देखते हैं। बहुगुणा जी का वह अंतिम चुनाव साबित हुआ, और कुछ समय बाद ही वे नहीं रहे। यह अलग बात है कि अमिताभ बच्चन की भी राजीव गांधी परिवार से नहीं निभी,और उन्होंने लोकसभा ही नहीं, राजनीति भी छोड़ दी। यह उनका व्यक्तिगत फैसला था। आज भी निर्वाचित सांसद सदन के अपने कार्यकाल को पूरा करें अथवा नहीं, यह उन पर निर्भर करता है। फिर भी इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि इससे संबंधित क्षेत्र और मतदाताओं को नुकसान पहुंचता रहा है। दक्षिण भारत की तरह उत्तर में भी समाजवादी पार्टी में राजनीति के बीच फिल्म के प्रवेश का बड़ा प्रयास हुआ था। इस प्रयास को अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी में बड़े पैमाने पर कर दिखाया था। अब जब कि अमर को मुलायम सिंह यादव के भाइयों के कारण दिक्कतें हुर्इं तो उन्होंने सपा से किनारा कर लिया है। उनके कारण संजय दत्त भी बाहर जाते रहे। नहीं कह सकते कि कल जयाप्रदा और जया बच्चन क्या करेंगी। इन नेताओं को कभी सरकार में रहकर काम करने का मौका नहीं मिला। जयाप्रदा ने जरूर फिरोजाबाद में अपनी हाजिरी बराबर दर्ज कराई। फिर भी याद रखना होगा कि समाजवादी धारा की पार्टी पर मनोरंजन क्षेत्र से आए लोगों का प्रभुत्व हो चला था। यह कहते हुए इस पर आपत्ति नहीं है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। दक्षिण में तो फिल्मी कलाकारों ने विधिवत राजनीति के जरिए समाजसेवा को अपना लिया है। उत्तर में सुनील दत्त ने जरूर बेहतर काम किए, लेकिन फिल्म जगत से जुड़े होने के बावजूद पहले वे एक समाजसेवी थे, बाद में सांसद अथवा मंत्री। सपा में आए कलाकार बराबर अपने व्यवसाय को ही प्राथमिकता देते रहे। यह अमर सिंह के नेतृत्व के चलते हुआ। आज जब वे अपने समर्थक कलाकारों सहित पार्टी से करीब करीब बाहर हैं, तो भी नहीं कह सकते कि पार्टी इस चकाचौंध से बाहर रहना चाहती है। वैसे इसे देखने के लिए इंतजार करना बेहतर है। फिर भी एक बड़ा कारण मौजूद है, जिसके चलते पार्टी नेताओं में खटास बढ़ी थी। वह है यादव परिवार का पार्टा पर आधिपत्य। मुलायम, रामगोपाल, शिवगोपाल और अखिलेश किसी न किसी सदन के सदस्य हैं। परिवार के कुछ और सदस्य इटावा और मैनपुरी की स्थानीय निकायों में हैं।सवाल उठते रहेंगे कि क्या सपा को इन जगहों के लिए दूसरे नेता और कार्यकर्ता नहीं मिले? जवाब खोजने में दिक्कत नहीं होगीष बहरहाल जने·ार मिश्र के निधन और अमर सिंह के बाहर जाने के बाद उनकी जगहों की भरपाई में पार्टी ने सावधानी बरती हैष लगता है, यादव परिवार सावधान हो गया है। ब्राजभूषण तिवारी और मोहन सिंह को इनकी जगह सामने लाकर सपा ने बेहतर भरपाई की कोशिश की है। जने·ार मिश्र अपनी वरिष्ठता और अमर सिंह अपनी आर्थिक और वाचाल शक्ति के जरिए प्रभावी हो चले थे। पर याद करना होगा कि ब्राजभूषण तिवारी और मोहन सिंह का अपना व्यक्तित्व बेदाग ही नहीं, पूरीर तरह समाजवादी आंदोलन की देन है। दोनों का जनता के लिए लड़ने का संकल्प छुपा मसला नहीं है। पार्टी ने यादवों से बाहर जाकर संतुलन बिठाने की कोशिश तो की है, यह भी तय है कि यो दोनों जब बोलते हैं तो लगता है कि देश की परेशान जनता दिखाई दे रही है। देखना है कि समाजवादी पार्टी अथवा यूं कहें कि यादव परिवार इनका ख्याल कब तक रखता है। देखना यह भी होगा कि क्या ये सिर्फ जने·ार और अमर की जगह जातीय भरपाई की कोशिश ही है, अथवा पार्टी इनके संघर्षमय इतिहास को एक बार और जीवंत करना चाहती है। निश्चित ही समाजवादी पार्टी फिर से समाजवादी आंदोलन की धारा को आगे बढ़ाना चाहती है, तो इन्हें संभाल कर रखना ही होगा।

1 comment:

anand raman said...

After resignation of Mr.Amar Singh from S.P.Mr Mulayam Sigh Yadav has appointed Mr.Mohan Singh and Mr.Braj Bhushan Tewari as leader of the Party in place of Mr.Amar Singh only to get the support of Thakur and Brahmins vote in the whole Northern region.Mr Mulayam Singh Yadav is not socialist Leader in any means nor he become the Dr.Lohia or junior lohia as he is only interested to promote/established his family among the masses (Mr.Akhilesh Yadav,Ram Gopal Yadav,Shiv Pal Yadav,Dharmendra Yadav and so on )Dr.Lohia was socialist by birth,cast,religion but Mulayam Singh Yadav is not socialist leader.He is compelled to introduce Mr.Mohan Singh & Mr Braj Bushan Tewari as a leader of Samajwadi Party Leader to meet out present political situation after resignation of Mr.Amar Singh. Yadi unhe action lena hi tha to Mr.Ram Gopal Yadav aur Shiv Pal Sigh ko bhi hata te to unka samazwadi chintan jhalkta.yeh sabhi jante hai ki kal SP ke Mikhia ke kya hasiyat thi aur aaj kya hai.Itne Corruption kr charge unke uper perhapes kise former mukhya mantri ke uper nahi phir bhi apne ko samazwadi kahte hai.