Monday, 11 January 2010

बड़े भाई का बुलावा

फिल्म तारिकाओं और नायक-खलनायकों पर टिकी एक पार्टी, गायकों पर टिकी एक पार्टी। बात हो रही है समाजवादी पार्टा की। अमर सिंह ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दिया, तो पार्टी में भूचाल सा आ गया। इसलिए कि उनके बाद नायक और गायक भी उनकी राह पर चलते नजर आने लगे। हो सकता है कि इनमें से कुछ सामाजिक जीवन और राजनीति के भी नायक-गायक हों। एक सच्चाई यह भी है कि ये चुनाव अभियान में समां बांधने का काम किया करते हैं। फिर भी कई ने बयान दिया कि अमर सिंह समाजवादी पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं,तो उनका भी बहुत सक्रिय रहना मायने नहीं रखता है। कुछ निर्वाचित विधायक तौल रहे थे कि अमर सिंह के प्रति वफादारी में विधान सभा की सदस्यता त्यागने से उन्हे क्या हासिल होगा। खुद अमर सिंह की बात की जाय तो दो तीन दिन में उनके बयान पहले से तल्ख होते गये। यूं तो वैसे भी शेरो-शायरी करते हुए भी वे सहज नहीं लगते। पार्टी के पद छोड़ते समय वे दुबई में थे, ऐसे मौके पर जब वहां दुनिया के सबसे ऊंचे भवन का उद्घाटन हो रहा था। यह ज्ञात नहीं हो सका कि क्या उस समारोह में शामिल होने वालों में अमर सिंह भी शामिल थे? यह संयोग भी हो सकता है, पर अमर सिंह का बार बार दुबई जाना होता रहता है। वे व्यवसायी भी हैं, कह सकते हैं कि इस नाते उन्हें जाना पड़ता है। इस मुद्दे पर हम भी इससे ज्यादा नहीं कह रहे। बात फिर से उनके इस्तीफे पर उठे भूचाल की करें। इस प्रकरण में दो बातें आई। एक यह कि ये अमर सिंह बनाम यादव परिवार का विवाद है, और दूसरा कि अमर सिंह गये तो क्या, पार्टी के लिए पैसा ही सब कुछ नहीं होता। पहली बात का जवाब अमर सिंह ने परोक्ष रूप से दे दिया है कि लड़ाई रामगोपाल यादव बनाम अमर सिंह है। दूसरे पर थोड़ी चर्चा कर ली जाय। बनारस में पार्टी के पूर्व सांसद मोहन सिंह ने कहा था कि ये दुर्भाग्य है कि उन्हे चुनाव के लिए अमर सिंह से पैसा लेना पड़ता था। अमर सिंह उवाच पहले यह था कि चुनाव में पैसों की जगह क्या समाजवादी किताबें भेजते। बाद में यह भी कह डाला कि मेरे भेजे पैसे चाहें तो मोहन सिंह वापस कर दें। इन बयानों के बीच पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह ने अमर सिंह का इस्तीफा अस्वीकार कर दिया है, और उन्हे अपने गांव सैफई आने का निमंत्रण भी दिया है। अमर सिंह को जानने वाले दावे के साथ कह सकते हैं कि वे बड़े भाई का निमंत्रण अस्वीकार नहीं कर सकते। देखना है कि पार्टी के लिए पैसों और फिल्मी चकाचौंध पर समाजवादी नजरिया अब क्या कहता है। नेताओं की नाराजगी और उन्हें मनाने का सार्वजनिक अध्याय आज समाजवादी पार्टी में ही शुरू हुआ है। इस पर बिना कुछ और कहे पढ़ने वालों पर ही छोड़ दिया जाय कि इस पूरे प्रकरण के पीछे क्या क्या मुद्दे हैं।

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