Monday, 23 November 2009

बंद करें मंदिर-मस्जिद का खेल


जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रााहन आयोग की रिपोर्ट का इंतजार देश में बड़ी संख्या में लोगों को था। सरकार संसद में यह रिपोर्ट और उस पर एक्शन टेकेन रिपोर्ट रखती, उसके पहले ही आयोग की रिपोर्ट लीक होने से इसका इंतजार कर रहे लोग सहम गये होंगे। इस कथन में यदि आपको दम नहीं लग रहा हो, तो रिपोर्ट लीक होने के दिन ही लोकसभा की कार्यवाही पर नजर डालें। वहां बीजेपी और समाजवादी पार्टी, दोनों ने लिब्रााहन आयोग की रिपोर्ट संसद के पटल पर रखने की मांग की। बीजेपी के नेता (और लोकसभा में प्रतिपक्ष के भी नेता) लालकृष्ण आडवाणी तो इसे उसी दिन सदन में प्रस्तुत करने की मांग कर रहे थे। गृहमंत्री के इस बयान से भी बीजेपी संतुष्ट नहीं हुई कि सरकार संसद के चालू सत्र में ही रिपोर्ट पटल पर रख देगी। अब सवाल उठता है कि बीजेपी जल्दी में क्यों है। खुद आडवाणी ने लोकसभा के प्रश्नोत्तर काल में ही रिपोर्ट के सत्रह साल बाद आने के बावजूद नवबंर से उसे रोके जाने पर चिंता व्यक्त की। अब आडवाणी उसी रिपोर्ट का और कुछ दिन इंतजार करने के मूड में नहीं हैं। आडवाणी की जल्दी को समझने के लिए उनके रिपोर्ट लीक होने के दिन लोकसभा वाले भाषण से बाहर जाने की जरूरत नहीं है। वे कहते हैं कि अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े होने पर वे अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं। गर्व समाजवादी पार्टी के सांसद और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को भी है, और अपने उस गर्व का इजहार उन्होंने भी लोकसभा में ही कर दिया। आडवाणी के बाद जब मुलायम सिंह बोलने के लिए खड़े हुए तो वे इस बात को लेकर गौरवान्वित थे कि मस्जिद गिराने की कोशिश करने वालों के खिलाफ उन्होंने कठोर कारर्वाई की थी। उन्होंने तो यहां तक कहा कि न चाहते हुए भी उन्होंने यहां तक एक्शन लिया कि कुछ लोगों को जान भी देनी पड़ी। बात साफ है कि दोनों अपने गर्व को फिर से व्यक्त करने का सुअवसर देख रहे हैं, और इसमें दोनों के लिए लिब्रााहन आयोग की रिपोर्ट संजीवनी का काम कर सकती है।
लोकसभा की कार्यवाही का दोनों पक्षों ने अपनी पुरानी इच्छा दुहराने में भी प्रयोग कर लिया। आडवाणी ने कहा कि मेरे जीवन की यह अभिलाषा है कि अयोध्या में एक भव्य राम जन्मभूमि बने। वे साफ कर देते हैं कि अभी वहां जो मंदिर है, वह राम जन्मभूमि की गरिमा के अनुकूल नहीं है। साफ है कि आडवाणी अयोध्या के उस विवादित स्थल पर ही राम मंदिर बनाना चाहते हैं, जहां मस्जिद गिराई गई थी, और जहां टेंट के बीच अद्र्धनिर्मित सा मंदिर है। उनकी यह इच्छा नई नहीं है। अब इस इच्छा के कुलांचे भरने का कारण शायद यह है कि उन्हे रिटायर करने की बात संघ परिवार में चल रही है। संघ परिवार को अपने पक्ष में करने का भी आडवाणी के लिए यह अच्छा मौका है। वे यह जताना चाहते हैं कि जिस राम जन्मभूमि के लिए उन्होंने रथयात्रा की, और जिस यात्रा से पार्टी में नई जान आ गई थी,उस ताजगी को फिर से वापस लाने का काम भी वही कर सकते हैं। इतिहास उनके पक्ष में खड़ा है कि राम जन्मभूमि आंदोलन ने हिंदू लहर पैदा कर दी थी। उस लहर का लाभ भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में अगले लोकसभा चुनाव परिणाम ने दिया था। बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर उभरी, और बाद में भी उसकी सरकार बनी। ये अलग बात है कि पूर्ण बहुमत नहीं होने के कारण उसे दूसरे दलों का भी सहयोग लेना पड़ा, और हिंदू कट्टरता में अपेक्षाकृत उदार होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी बाजी मार ले गये। अब जबकि आडवाणी को पार्टी ने नेता के रूप में सामने किया तो कई कारणों से पिछड़ गये। पिछले लोकसभा चुनाव में आडवाणी के पिछड़ने के कारणों पर चर्चा बहुत हो चुकी है। फिर भी जरूरत होने पर यह अलग मुद्दा है। अहम बिंदु यह है कि आडवाणी की सोई इच्छा एक बार फिर जाग उठी है।
आप सवाल कर सकते हैं कि आडवाणी के साथ मुलायम सिंह यादव भी लिब्रााहन आयोग की रिपोर्ट जल्दी से जल्दी संसद में रखे जाने के हिमायती क्यों हैं। मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी को लोकसभा चुनाव में लगा झटका धीरे का भले हो, उपचुनाव आते आते उन्हे झटका खाते हुए साफ तौर पर देखा गया। फिर तो उन्होंने उन कल्याण सिंह से भी दोस्ती तोड़ ली, जिन्हें बीजेपी के नाश के लिए वे साथ लाये थे। दरअसल उन्हें अहसास हो चला था कि लिब्रााहन आयोग की रिपोर्ट आते आते कल्याण सिंह भी मुस्लिम विरोधी छवि के लिए एक बार फिर सामने होंगे। ऐसे में मुसलमान मतदाताओं को अब और नाराज करना समाजवादी पार्टी की सेहत के लिए सही नहीं होगा। साफ है कि आडवाणी की तरह मुलायम को भी लिब्रााहन आयोग की रिपोर्ट में ही अपने दल और खुद की राजनीति की संजीवनी दिख रही है। नहीं भूलना चाहिए कि ये राजनेता अपनी संजीवनी हासिल करना चाहते हैं। भले ही इस काम में देश के सामने महा संकट खड़ा हो जाय। लिब्रााहन आयोग का गठन संविधान सम्मत था। उसकी रिपोर्ट आए, उस पर कार्यवाही भी हो, पर इस तरह हंगामा खड़ा न किया जाय तो बेहतर होगा। संविधान और देश के कानून को शांति पूर्वक काम करने दिया जाना चाहिए। सवाल है कि क्या इस प्रक्रिया का उपयोग एक बार फिर मंदिर- मस्जिद के खेल में किया जायेगा? क्या फिर छह दिसंबर और उसके बाद की देशव्यापी हिंसा को बुलावा देना ठीक होगा? कम से कम आडवाणी और मुलायम का ताजा रुख तो ऐसा ही करता हुआ लगता है।

2 comments:

Unknown said...

No doubt about that author has covered all mandatory aspects while criticizing present current political issues focusing Liberhan Commission’s report.
Hope to see more interesting articles in the coming days.

anand raman said...

desh mein mandir aur masjis ka issue to chalta rahega becoz people and politcian does not want to resolve the issue once for all.Agar reslove kar denge to unki plitics finish ho jaiygi.kisi ko common man ke problems se lena dena he nahi hai.main us common man ke baat kar raha hoon jo desh ko roti deta hai, to live people ghar banata hai, to wear kapda ka nirman karta hai,jo logo ko from this coner to that corner le jata hai from aeroplane ,train and bus.the prices of common commodities are increasing day by day.the prices of land ,flats,vehicles,water,electricity,education,frequint journey in any mode and all luxorius item are far from common men.Parliament mein to amar singh and mulayamsingh yadav ka issue chalega jo isse desh ka kuch bhi lena dena nahi hai.system aisa hona chaiya kee the interest of the common will be safe and saved.ek dusre ki tang kaise draw karna chaiya kewal is baat par discussion parliament or legislative assembly mein hoti hai.you take the example of corruption of Late Prime Minister PV Narsigha Rao,Mayawati,Madhu Koda,Mulayam Singh Yadav,Lalu Yadav ,Bofors issue etc.They are all above law.Ajj tak unka media or law kuch bhi bigar nahi paya.Becoz aisa koi hard law India mein bana he nahi.Aaj desh mein thoda bahut imandar neta bache hai to kewal left party mein he hai.jo jite hai to common man ke liye marti hai to commom man ke liye.But media aur patrakar logo ko isse kya lena or dena unhe to shamm rangeen he chaiya.